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ग़ज़ल
नज़्अ' में तो हूँ वले तेरा गिला करता नहींदिल में है वो ही वफ़ा पर जी वफ़ा करता नहीं
ख़्वाजा मीर दर्द
फ़ारसी कलाम
अगरचे बे-ख़ुद-ओ-मस्तम वले हुश्यार मी-गर्दमब-बातिन शाह-ए-कौनैनम ब-ज़ाहिर ख़्वार मी-गर्दम
हाजी इमदादुल्लाह मक्की
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सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
वले अ’दावत-ए-पीरी अज़ कोहकन बाक़ीस्तदोहा:
ज़माना
दकनी सूफ़ी काव्य
तोहफ़तुल अहबाब और तोहफ़तुल निसा
मर्दो में किस ऊपर अथा लेपूछा तो अली वले ऊपर के
मोहम्मद बाक़र आगाह
दकनी सूफ़ी काव्य
तूतीनामा- चुन उस गोहराँ के समन्द का गम्भीर
वले काल सो आशिक़ का यहीमुहब्बत लगाने जो लगती है साफ़
मुल्ला ग़व्वासी
सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
ज़े-बा’द मक्का सैरम दर अजम बूदवले बे-हिन्द ख़ातिर मी-नयासूद
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
हुमाम रा सुख़ने दिलफ़रेब-ओ-शीरीनस्तवले चे सूद कि बेचार: नीस्त शीराज़ी
एजाज़ हुसैन ख़ान
दकनी सूफ़ी काव्य
इशारतुल ग़ाफ़िलीन
वले ओ बया कर सुनता है बोलछुपाता नहीं राज़ कहता हू खोल