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पद
दुनिया को कुछ क़याम नहीं है सुन लो और सुना दो
दुनिया को कुछ क़याम नहीं है सुन लो और सुना दोचर्ख़ तुम्हारे दरपे हैगा देखो और दिखा दो
कवि दिलदार
ग़ज़ल
आरिफ़ सीमाबी बानकोटी
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ग़ज़ल
सुना था लुत्फ़ होते हैं हसीनों की मोहब्बत मेंमगर दिल दे के हम तो पड़ गए सरकार आफ़त में
बेदम शाह वारसी
शे'र
मिरी सम्त से उसे ऐ सबा ये पयाम-ए-आख़िर-ए-ग़म सुनाअभी देखना हो तो देख जा कि ख़िज़ाँ है अपनी बहार पर
जिगर मुरादाबादी
दोहरा
मुलतानी धनासिरी, एकताला- या हज़रत ख़्वाजा कुतुब साहब, मेरी सुन के नेक न
या हज़रत ख़्वाजा कुतुब साहब, मेरी सुन के नेक न“शाहे-आलम” ख़ादिम तुम्हरो तुम सूं मांगे माल मुल्क
शाह आलम सानी
ना'त-ओ-मनक़बत
महशर में सुन के गर्मी-ए-बाज़ार-ए-मुस्तफ़ासारी ख़ुदाई होगी तलब-गार-ए-मुस्तफ़ा
अख़तर ख़ैराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
सुन ऐ बाद-ए-सबा तु जानिब-ए-तैबः अगर गुज़रेतू जा कर थामना बाब-ए-हरीम-ए-ख़ास के पर्दे
मुज़्तर ख़ैराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
सुन ऐ बाद-ए-सबा तू जानिब-ए-तैबा अगर गुज़रेतो जा कर थामना बाब-ए-हरीम-ए-ख़ास के पर्दे
मुज़्तर ख़ैराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
फ़िराक़-ओ-हिज्र के हालात-ए-ग़म का माजरा सुन लेगुज़रती है जो दिल पर ऐ शह-ए-हर-दोसरा सुन ले