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सूफ़ी लेख
फ़ारसी गिरह-बंदी की इब्तिदा, फ़ारसी का मंज़ूम कलाम
‘’अल्लाह हू" की तकरार और हज़रत ‘अली की तारीफ़ ही के दौर में क़व्वाली में फ़ारसी
अकमल हैदराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
तुम्हारी ज़ुल्फ़ से है सिलसिला ग़रीब-नवाज़
असीर-ए-दाम-ए-मोहब्बत हूँ या ग़रीब-नवाज़
निसार अकबराबादी
शे'र
तुम अपनी ज़ुल्फ़ खोलो फिर दिल-ए-पुर-दाग़ चमकेगा
अंधेरा हो तो कुछ कुछ शम्अ' की आँखों में नूर आए
मुज़्तर ख़ैराबादी
कवित्त
नेत्रोपालम्भ - छूट्यौ गृह काज लोक लाज मन मोहिनी को
छूट्यौ गृह काज लोक लाज मन मोहिनी को
भूल्यौ मन मोहन को मुरली बजाइबौ
रसखान
शे'र
क्यों गुल-ए-आरिज़ पे तुमने ज़ुल्फ़ बिखराई नहीं
चश्मा-ए-ख़ुर्शीद में क्यों साँप लहराया नहीं
मिरर्ज़ा फ़िदा अली शाह मनन
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ज़ुल्फ़ आशुफ़्तः-ओ-ख़ूए-कर्दः-ओ-ख़ंदँ-लब-ओ-मस्त
पैरहन चाक-ओ-ग़ज़ल-ख़्वान-ओ-सुराही दर दस्त