आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "d��� ��o��n xsmb minh ng���c ����BetGG8.com���� d��� ��o��n xsmb minh ng���c ����NG K�� H���I VI��N M���I T���NG TH�����NG NGAY 800K d��� ��o��n xsmb minh ng���c"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "d��� ��o��n xsmb minh ng���c ����betGG8.com���� d��� ��o��n xsmb minh ng���c ����nG K�� H���i vi��n m���i T���nG TH�����nG nGay 800K d��� ��o��n xsmb minh ng���c"
शे'र
वो बहर-ए-हुस्न शायद बाग़ में आवेगा ऐ 'एहसाँ'कि फ़व्वारा ख़ुशी से आज दो दो गज़ उछलता है
अ’ब्दुल रहमान एहसान देहलवी
फ़ारसी कलाम
दर आमद बर सरम ना-गह शब-ए-आँ शम्अ’-ए-शबिस्तानमज़द आतिश दर पर-ओ-बालम दिल-ए-परवानः-ए-जानम
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी कलाम
ज़े-अ'दम बरूँ न-जहीद: ई ज़े-वजूद-ए-बू न-शुनीद:-ईब-ख़ुद ईं हम: कि रसीदः ई ब-ख़याल-ए-ख़ुद-निगर आमदी
ख़्वाजा मीर दर्द
अन्य परिणाम "d��� ��o��n xsmb minh ng���c ����betGG8.com���� d��� ��o��n xsmb minh ng���c ����nG K�� H���i vi��n m���i T���nG TH�����nG nGay 800K d��� ��o��n xsmb minh ng���c"
दोहरा
हियरे भीतर है हिया तहँ महँ कंत बसाय
हियरे भीतर है हिया तहँ महँ कंत बसायतहाँ बसेरा जो करै सोभै पियहि मिलाय
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
दोहरा
सो मन फूल पदम का तिंह महँ भँवर बसाय
सो मन फूल पदम का तिंह महँ भँवर बसायमतवारे ज्यों डोलिए ज्यों ज्यों वो मननाय
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
फ़ारसी कलाम
बन्द:-ए-इ'श्क़म न-दारम आरज़ू-ए-नाम-ओ-नंगआरज़ूहा-ए-चुनीं कार-ए-कसाने दीगर अस्त
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
रफ़्त यार व आरज़ू-ए-ऊ ज़े-जान-ए-मन न-रफ़्त
दिल ज़े-मन दुज़्दीद व सर-ता-पा-ए-ऊ जुस्तम नबूदज़ेर-ए-ज़ुलफ़श बूद व दर आँ-जा गुमान-ए-मन न-रफ़्त
अमीर ख़ुसरौ
फ़ारसी कलाम
अगर बीनम शबे नागाह आँ सुल्तान-ए-खूबाँ रासर अंदर पा-ए-ऊ आरम फ़िदा साज़म दिल-ओ-जाँ रा
बू अली शाह क़लन्दर
फ़ारसी कलाम
ग़ाफ़िल अज़ हाल-ए-मन-ए-ख़स्त: न-दानम चूनीऐ कि ग़म-ख़्वार-तर अज़ शाह-ओ-गदा आमदः-ई
ग़ुलाम हसन बीथवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ दिल अर उक़बात बायद दस्त अज़ दुनिया ब-दार
पाय बर दुनिया नेह व बर दोज़ चश्म अज़ नाम-ओ-नंगदस्त दर उक़्बा ज़न व बर बंद: राह-ए-फख़्र-ओ-आ'र
हकीम सनाई
दोहरा
एक गुसाईं सभन महँ सो जो लखा न जाय
एक गुसाईं सभन महँ सो जो लखा न जायजो उस सीस न न्यावही तिस माथे भग जाय
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
शे'र
दीवानः शुद ज़ू इ’श्क़ हम नागह बर-आवर्द आतिशीशुद रख़्त-ए-शहरी सोख़त: ख़ाशाक-ए-ईं वीरानः हम
अमीर ख़ुसरौ
दोहरा
बिन देखे मन मानै नाहीं औ दिष्ट माँह न होय
बिन देखे मन मानै नाहीं औ दिष्ट माँह न होयदेख बिचार जो मानै अवधू दिष्टा जोगी सोय