परिणाम "मरकज़ी"
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क़ाज़ी जिनका काम अस्ल मुक़द्दमों का फ़ैसला करना था।सद्र-ए-जहाँ (क़ाज़िउल-क़ुज़ात) एक मरकज़ी अफ़्सर था जो अपने नाएबों के ज़रिआ’ मज़हबी मुआ’मलात (उ’लमा की मदद-ए-मआ’श, मसाजिद की ता’मीर, औक़ाफ़ के इंतिज़ाम वग़ैरा)का ज़िम्मेदार होता।
आज भी ख़ानक़ाह-ए-बल्ख़िया फ़िरदौसिया, फ़तूहा, पटना अपनी मरकज़ी हैसियत के लिए क़ाएम-ओ-दायम है, जिसके मौजूदा सज्जादा-नशीन
मज़ीद ये कि इन माख़ज़ में से कोई क़ुतुब-साहिब का हम-अ’स्र नहीं मा’लूम होता।‘फ़वाइदुल-फ़ुवाद’की तालीफ़ सन
ये सही है कि मुल्क में ज़बान के मसले को लेकर, इलाक़ाई सवालों को लेकर, ज़ात
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