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सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
ख़याल-ओ-वह्म का तुझ तक गुज़र हो गैर मुमकिन हैजि से कहते हैं सब अ’र्शे-ए-बरीं है आस्ताँ तेरा
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
वेदान्त - मैकश अकबराबादी
हिंदू फ़ल्सफ़े में ये सवाल बहुत अहम है कि इस जिस्म के साथ या’नी ज़िदगी में
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब
हुज़ूर से मुराद हक़-तआ’ला को देखना है, न कि उससे गुफ़्तुगू करना है।हुज़ूर में गुफ़्तुगू करना
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
क्यों गुरु बाबा इस में आप क्या फ़रमाते हैं? फ़रमाया हम निरंकारी हैं (या’नी बे-शक्ल ख़ुदा
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
मंझनकृत मधुमालती - श्री चंद्रबली पाँडे एम. ए.
“नसरती ने अस्ल क़िस्से में चंपावती और चंद्रसेन की दास्तान ज़मनी तौर पर बड़ी खूबी से
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जौनपुर की सूफ़ी परंपरा
मीर मुहम्मद ताहिर तेज़रौआप बड़ी सज धज के साथ बदख़्शां से घोड़ों, ऊँटों और सेवकों के
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ - अबुल-आज़ाद ख़लीक़ी देहलवी
अह्ल-ए-बातिन से कोई गिरोह ख़ाली नहीं और न ही ख़याल किया जा सकता है कि कोई
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद शकर गंज
ऊंट,तमाशा-गर, रीछ और बंदर नचाने वाले ग़रज़ ये कि कोई ऐसा खेल नहीं होता जो यहाँ
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा साहब पर क्या कहती हैं पुरानी किताबें?
हिंदुस्तान में तसव्वुफ़ का चराग़ आप ही से रौशन हुआ। क्या अमीर क्या ग़रीब, क्या हिंदू
रय्यान अबुलउलाई
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क़व्वाली का माज़ी और मुस्तक़बिल
इसी तरह आज भी हम फ़िल्म से और नई शाइ’री से महज़ इसलिए मुफ़ाहमत नहीं कर
मुनादी
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समा के आदाब-ओ-मवाने से का इनहराफ़
समा’अ के बारे में इमाम ग़ज़ाली के इस चौथे माने’ का लिहाज़ क़व्वाली की महफ़िलों में
अकमल हैदराबादी
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शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
“मंसूब से मुराद ये है कि शाहज़ादा सा’द की सरकार से उनको तअ’ल्लुक़ होगा या कुछ
एजाज़ हुसैन ख़ान
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हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल
एक सफ़र का वाक़िआ’ हज़रत बाबा फ़रीदुद्दीन मसऊद गंज शकर ने अजोधन में सुकूनत इख़्तियार करने