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सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
वले अ’दावत-ए-पीरी अज़ कोहकन बाक़ीस्तदोहा:
ज़माना
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Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
ज़े-बा’द मक्का सैरम दर अजम बूदवले बे-हिन्द ख़ातिर मी-नयासूद
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
हुमाम रा सुख़ने दिलफ़रेब-ओ-शीरीनस्तवले चे सूद कि बेचार: नीस्त शीराज़ी
एजाज़ हुसैन ख़ान
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अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
वले रंगश चू रू-ए-आ’शिक़ां ज़र्द।।ब-रोग़न परवरंदश बहर-ए-सर-हा।
सूफ़ीनामा आर्काइव
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लिसानुल-ग़ैब हाफ़िज़ शीराज़ी - मोहम्मद अ’ब्दुलहकीम ख़ान हकीम।
‘नीस्त पैग़ंबर वले दारद किताब’आपका कलाम आप ही के मिस्रा-ए’-ता’रीफ़ का मिस्दाक़ है।
निज़ाम उल मशायख़
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह अहमद हुसैन चिश्ती शैख़पूरवी
बहुत की फ़िक्र ऐ ‘अहमद’ वले क्या फ़ाएदा देखा,कहीं इसको वसीला से लगा दो या रसूलल्लाह,