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सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
सन्मुख तोरे मैं आपै न हूँगीजारो न फूँको जियरवा मोरा
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
अबुलफजल का वध- श्री चंद्रबली पांडे
मारै जाहि खड द्वै होय, ताके सन्मुख रहै न कोय। गाजत गजही सत हय खरे, बिन सुडनि बिन पायनि करे।