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शे'र
नहीं देता जो मय अच्छा न दे तेरी ख़ुशी साक़ीप्याले कुछ हमेशा ताक़ पर रखे नहीं रहते
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
मुरीद-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना हुए क़िस्मत से ऐ नासेहन झाड़ें शौक़ में पलकों से हम क्यूँ सहन-ए-मय-ख़ाना
इब्राहीम आजिज़
शे'र
शराब-ए-नाब तो क्या आग पानी बन के बरसे गीअगर अब्र-ए-बहार उस आतिश-ए-गुल का धुआँ होगा
रियाज़ ख़ैराबादी
शे'र
‘अयाज़’ इक बेश-क़ीमत सा तुझे नुक्ता बताता हूँतुम अपने आपको समझो ख़ुदा क्या है ख़ुदा जाने