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गिर्या-ओ-ज़ारी पर अशआर

नाला फ़रियाद आह और ज़ारी

आप से हो सका सो कर देखा

ख़्वाजा मीर दर्द

मिन्नत आ'जिज़ी ज़ारी आह

तेरे आगे हज़ार कर देखा

मीर मोहम्मद बेदार

उड़ सकें बरसात में किस तरह जुगनू बे-शुमार

जोश-ए-गिर्या में शरर-अफ़शाँ जो दिल अक्सर ना हो

रज़ा फ़िरंगी महल्ली

शब मिरा शोर-ए-गिर्या सुन के कहा

मैं तो इस ग़ुल में सो नहीं सकता

एहसनुल्लाह ख़ाँ बयान

अभी जोश-ए-गिर्या तू ने ये सोचा नहीं शायद

मोहब्बत का चमन मिन्नत-कश-ए-शबनम नहीं होता

अज़ीज़ वारसी देहलवी

दिखाता इतनी तो तासीर गिर्या-ए-या'क़ूब

दयार-ए-मिस्र में अंधे कुएँ उबल जाते

असीर लखनवी

डूबी जाती है नाव हस्ती की

मौज-ए-गिर्या का ज़ोर रेला है

सुलेमान शिकोह गार्डनर

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