आतिफ़ काज़मी के सूफ़ी लेख
आस्ताना-ए-ख़्वाजा ग़रीब-नवाज़ में ख़ुद्दाम साहिब-ज़ादगान, सय्यिद-ज़ादगान औलाद-ए-हज़रत ख़्वाजा सय्यिद फ़ख़्रुद्दीन गर्देज़ी
ये नसब-नामा-ए-मौरुसी ख़ुद्दाम-ए-हुज़ूर ख़्वाजा ग़रीब-नवाज़ रहमतुल्लाहि अ’लैह का है।ख़ुद्दाम-ए-ख़्वाजा का लक़ब इस ख़ानदान के हर फ़र्द की पहचान है।अपने मुरिस-ए-आ’ला हज़रत ख़्वाजा सय्यिद फ़ख़रुद्दीन गर्देज़ी रहमतुल्लाहि अ’लैह से इस लक़ब को मंसूब कर के इसे
"हाज़ा हबीबुल्लाहि मा-त-फ़ी हुब्बिल्लाह" का तहक़ीक़ी जाएज़ा
ख़्वाजा-ए-आ’ज़म सय्यद मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी हिंद में सिल्सिला-ए-आ’लिया चिश्तिया के सरख़ैल हैं|और आ’लम में मा’रूफ़ सिल्सिला-ए-नूर-बख़्शिया के बानी सय्यद मोहम्मद नूर बख़्श ने सिल्सिलतुल-औलिया में आपके बारे में तहरीर किया हैः “कान मिनल-औलियाइ-अज़्ज़ाहिदीन-वल-आ’बिदी-न