नसर बल्ख़ी के अशआर
हुस्न-ए-असीर-ए-रस्म है 'इश्क़ है इज़्तिराब में
मुम्किन कहाँ सुकूँ मिले सामना हो हिजाब में
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टैग : असीर
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere