वाचिक परंपरा की सूफ़ी कहावतें
हर चे दिलम अस्त, न आँ शुद हर चे ख़ुदा ख़्वास्त, हमां शुद
मेरे दिल की इच्छा पूरी नहीं हुई,जो भगवान की इच्छा थी, वही हो गया।
ज़माना बा तू नासाज़द, तू बा ज़माना साज़।
अगर समय आपके लिए उपयुक्त नहीं हैं, तो आप खुद को उनके अनुसार बदलें।
अभी दिल्ली दूर है।
अभी दिल्ली दूर है (हनूज़ दिल्ली दूर अस्त।) अभी कार्य पूर्ण होने में देर है। अभी मंज़िल पाने के लिए बहुत अधिक चलना है। जब कोई व्यक्ति अपनी हैसियत से बड़ी वस्तु की चेष्टा करे उस समय भी यह कहावत कहते हैं। इस कहावत का संबंध एक घटना से है जो इस प्रकार
इश्क़-ए-मजाज़ी से इश्क़-ए-हक़ीक़ी हासिल होता है
इश्क़-ए-मजाज़ी से इश्क़-ए-हक़ीक़ी हासिल होता है मनुष्य से प्रेम करते करते ईश्वर से भी प्रेम हो जाता है। मानव प्रेम ईश्वर प्रेम की सीढ़ी है
ख़िश्त अव्वल चूँ नहद मे'मार कज। ता सुरय्या मी रवद दीवार कज
पहली ईंट जब मे'मार टेढ़ी लगा दे तो अगर दीवार-ए-सुरय्या (आसमान) तक भी चली जाए टेढ़ी ही होगी।
इश्क़ या करे अमीर, या करे फ़कीर
इश्क़ या करे अमीर, या करे फ़कीर प्रेम अमीर या फ़क़ीर केवल दो ही कर सकते हैं। अमीर इसलिए कि उस के पास ख़र्च करने के लिए धन होता है, और फ़क़ीर इसलिए कि उसे किसी बात की चिंता या भय नहीं होता। बीच के लोग प्रेम करने के लिए अनुपयुक्त समझे जाते हैं
आवाज़-ए-सगां कम नकुनद रिज़्क-ए-गदा रा
कुत्तों की भौंकने से भिखारी के हिस्से (रोज़ी रोटी) में कोई कमी नहीं होती।
मन आं मुरम की दर पायम बा-मालंद ना ज़ंबूरम कि अज़ नेशम ब-नालंद।
नेक इंसान को मज़बूत होने की बजाय कमजोरी पसंद होती है ताकि दूसरों को पीड़ा न पहुँचे।
अफ़्व कर्दन (बर)ज़ालिमां जौर अस्त बर मज़लूमां
अत्याचारियों के प्रति कृपा दुर्बलों के प्रति क्रूरता है।
हरगिज़ बदी कि तवानी ब दुश्मन मरसां मुबादा कि रोज़ी दोस्त गर्दद
अपने दुश्मन के साथ बुरा न करें, क्योंकि हो सकता है शायद किसी दिन वह आप का दोस्त बन जाए
सेब अज़ सेब रंग मी गीरद हमसाया अज़ हमसाया पंद
एक सेब दूसरे सेब से अपना रंग लेता है, और एक पड़ोसी अपने साथी पड़ोसी से सलाह लेता है।
कोहन जामा-ए- ख़ेश पैरास्तन बे अज़ जामा-ए-आरयत ख़्वास्तन
दूसरों के कपड़े उधार लेने के बजाय अपने फटे हुए कपड़ों को सुधारना बेहतर है।
जैसा मन हराम में, तैसा हरि में होय
जैसा मन हराम में, तैसा हरि में होय चला जाय बैकुंठ को, रोक सके ना कोय
खुश अस्ल ख़ता नकुनद ओ बद असल वफ़ा नकुनद
नेक व्यक्ति जुर्म नहीं करता और ख़राब व्यक्ति वफ़ादार नहीं होता।
नाम नेको गर बमानद ज़े आदमी; बेह कज़ ऊ मानद सराए ज़र निगार
अपने पीछे सोने से सुसज्जित महल छोड़ने से बेहतर है कि इंसान एक अच्छे नाम को छोड़ कर जाए
रू-ए ज़ेबा मरहम-ए-दिलहा-ए-ख़स्ता अस्त-ओ-कलीद-ए-दरहा-ए-बस्ता
एक ख़ूबसूरत चेहरा दुखी दिलों के लिए मरहम की तरह होता है, और बंद दरवाजों के लिए कुंजी
हर के रा मी ख़्वाही बा श्नासी या बा उ मु'आमला कुन या सफ़र कुन
किसी व्यक्ति की सच्ची प्रकृति को जानने के लिए, उसके साथ व्यवहार करें या यात्रा करें।
हमनशीन-ए- तू अज़ तू बा बायद। ता तोरा अक़्ल ओ दीन बे अफ़ज़ायद
आपका साथी आपसे बढ़कर होना चाहिए, ताकि आपकी बुद्धि और धर्म में वृद्धि हो
जादा-ए-दुज़्द ज़दा ता चहल रोज़ ऐमन अस्त।
रास्तों पर हमले के बाद रास्ता चालीस दिन तक सुरक्षित रहता है।
हर कि गर्दन बदावा अफ़राज़द। दुश्मन अज़ हर तरफ़ बदू ताज़द।
वह जो अपने सर को दावे से ऊंचा उठाता है, उस पर सभी ओर से दुश्मन हमला कर सकते हैं।
चश्म-ए-बुज़ुर्गां तंग मी शवद
बड़े लोगों की नज़र तंग होती है। (यानी बहुत बड़े व्यक्ति अपने से कमजोरों को इतने घमंड से देखते हैं कि वे उन्हें आमतौर पर पहचान नहीं पाते)।
ख़ुद कर्दा रा तदबीर नीस्त
व्यक्ति अपने किए गए कार्यों के परिणामों से बच नहीं सकता। जैसे आप अपनी पलंग सजाते हैं, वैसे ही उस पर सोना पड़ता है।
चूं क़ज़ा आयद तबीब अब्लाह शवद
जब मौत आती है तो डॉक्टर बेबस हो जाता है। जब क़ज़ा आती है तो हकीम भी बेवक़ूफ़ हो जाता है।
न चंदां बख़ुर कज़ दहानत बर आयद, न चंदां कि अज़ ज़ो'फ़ जानत बर आयद
न तो इतना ज़्यादा खाएं कि खाना मुँह से निकल आए, न ही इतना कम खाएं कि कमज़ोरी से आपका जीवन चला जाए
जिसे पिया चाहे, वही सुहागन, क्या सांवरी क्या गोरी
जिसे पिया चाहे, वही सुहागन, क्या साँवरी क्या गोरी जिस पर ईश्वर की नज़र होती है वही उच्च स्थान पर पहुँच जाता है, चाहे उस में गुण न होंं
ग़म-ए-ज़ेर-ए-दस्तां बख़ुर ज़ीनहार, बतर्स अज़ ज़बर्दस्ती-ए-रोज़गार
देखो, उनका ध्यान रखो जो आपसे कमजोर हैं, और सावधान रहो उस अपराधी भाग्य से जो आपसे बड़ा है
ग़व्वास गर अंदेशा कुनद काम-ए-नहंग। हरगिज़ न कुनंद दुर्र-ए-गरांमाया बा-चंग
जो ग़ोताख़ोर मगरमच्छ के चमकने वाले दांतों से डरता है, वह कभी भी मूल्यवान मोती नहीं पा सकेगा।
दर इन-ए दुनिया किसी बे ग़म न बाशद, अगर बाशद बनी आदम न बाशद
इस दुनिया में कोई ऐसा नहीं है जिसके पास कोई दुःख न हो, अगर कोई है; वह मनुष्य नहीं है।
ठाकुर-पत्थर, माला तक्कड़, गंगा जमुना पानी
ठाकुर-पत्थर, माला तक्कड़, गंगा जमुना पानी जब लग मन में सांच न उपजे, चारों बेद कहानी अगर मन में विश्वास न हो, तो देवता पत्थर हैं, माला लड़की है, और गंगा-जमुना का पानी साधारण पानी है। बिना श्रद्धा के धार्मिक आस्था काम नहीं देती। धर्म में आस्था प्रधान
क्या करेगा दौला, जिसे दे मौला
क्या करेगा दौला, जिसे दे मौला भगवान ही सब को देता है, दौला उसमें कुछ नहीं करता। (पंजाब के गुजरात जिले में 17वीं शताब्दी में शाह दौला नाम के एक पहुंचे हुए फ़क़ीर हुए हैं। जब कोई उनके पास याचना करने जाता था, तब वह उससे उक्त वाक्य कह दिया करते थे।)