मोहम्मद अकबर वार्सी के अशआर
हरे कपड़े पहन कर फिर न जाना यार गुलशन में
गुलू-ए-शाख़-ए-गुल से ख़ून टपकेगा शहादत का
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मैं हमेशा असीर-ए-अलम ही रहा मिरे दिल में सदा तेरा ग़म ही रहा
मिरा नख़्ल-ए-उम्मीद क़लम ही रहा मेरे रोने का कोई समर न मिला
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टैग : उम्मीद
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere