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Sufinama
Ata Hussain Fani's Photo'

अता हुसैन फ़ानी

1816 - 1893 | गया, भारत

कैफ़ियतुल-आ’रिफ़ीन और कंज़ुल-अंसाब के मुसन्निफ़ और राम-सागर गया के मशहूर सूफ़ी

कैफ़ियतुल-आ’रिफ़ीन और कंज़ुल-अंसाब के मुसन्निफ़ और राम-सागर गया के मशहूर सूफ़ी

अता हुसैन फ़ानी के अशआर

खोल आँख अपनी देख अयाँ हक़ का नूर है

हर बर्ग हर शजर में उसी का ज़ुहूर है

बंदा क़ुसूर-वार है ख़ालिक़ मिरा ग़फ़ूर

अब ख़ौफ़ दल में भला हम कभू करें

शरमिंदा हूँ गुनाह से अपने मैं इस क़दर

क्या चश्म-ए-पुर-गुनह को तेरी दू-बदू करें

जब ख़ुदी अहदियत ने दूर किया

नूर-ए-वहदत ने तब ज़ुहूर किया

कार-ए-मजाज़ मुझ पे हुआ इस क़दर बुलंद

ख़िर्क़ा को चाक कर के क्या हा-ओ-हू करें

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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