सूफ़ी लेख
सूफ़ियों के ताल्लुक़ से बेहतरीन और दिलकश मज़ामीन का मजमूआ पेश-ए-ख़िदमत है।
शोधकर्ता और शायर, अपनी नज़्म "सोचने पे पहरा है" के लिए मशहूर/ प्रोफ़ेसर जेएनयू
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर और हमीद वैशालवी के शागिर्द
लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् और साहित्यकार. शायरी,कथा साहित्य और अनुवाद के अलावा विद्वत्तापूर्ण कई अहम किताबों के रचनाकार. अपने समय की लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका ‘निगार’ के सम्पादक रहे